ज़िन्दगी भर सोचूंगा
Saturday 7 May 2011
ग़ज़ल
दिल पे है नक्श, आपका चेहरा.
नर्म हाथों में गुनगुना चेहरा.
तेज़ ज़ालिम हवा, चमन में है,
उसका चेहरा है, फूल सा चेहरा.
सुन सको तो, जुबान रखता है,
यार होता है, आईना चेहरा.
होंठ कितना भी भींच ले कोई,
भेद खोलेगा, शर्तिया चेहरा.
सिर्फ आँखों को छोडिये वरना,
किसका होता है, बेवफा चेहरा.
ढूंढता हूँ मैं, एक मुददत से,
भीड़ में एक, खो गया चेहरा.
--- तरुण प्रकाश
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